Shodashi Secrets
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Tripura Sundari's variety is not only a visual representation but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees through symbols to be familiar with deeper cosmic truths.
The picture was carved from Kasti stone, a scarce reddish-black finely grained stone accustomed to manner sacred illustrations or photos. It had been introduced from Chittagong in current working day Bangladesh.
सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।
Shiva utilized the ashes, and adjacent mud to all over again type Kama. Then, with their yogic powers, they breathed everyday living into Kama in this kind of way that he was animated and very capable of sadhana. As Kama continued his sadhana, he step by step acquired ability above Many others. Totally mindful of your possible for difficulties, Shiva performed alongside. When Shiva was questioned by Kama for a boon to have 50 percent of the strength of his adversaries, Shiva granted it.
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।
The Mantra, on the other hand, is often a sonic representation with the Goddess, encapsulating her essence via sacred syllables. Reciting her Mantra is considered to invoke her divine presence and bestow blessings.
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
Her story includes famous battles from evil forces, emphasizing the triumph of excellent around evil as well as spiritual journey from ignorance to enlightenment.
She's also referred to as Tripura because all her hymns and mantras have a few clusters of letters. Bhagwan website Shiv is believed to get her consort.
लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-
ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।